Directory Structure क्या हैं? [Directory Structure in hindi]
Directory Structure क्या हैं?
कंप्यूटर के physical disk को सामान्यता अनेक भागों में बांटकर उपयोग किया जाता है। जिसे disk partition कहाँ जाता हैं। प्रत्येक disk का अपना एक file system होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा संपूर्ण disk के लिए एक file system निर्धारित किया जाता है। उसी के आधार पर वह कार्य करता है। File का कार्य जानकारी को रखना होता है और directory का कार्य सभी संबंधित फाइल्स को एक स्थान पर रखना होता है। किसी physical disk के drive (partition) में कुछ निम्न प्रकार के directory को रखा जाता है:
Operation performed on Directory:
Operating system द्वारा directory के अंतर्गत निम्न प्रकार के कार्य करने की सुविधा प्रदान की जाती है।
- नई फाइल बनाना। (Create a new file)
- फाइल को मिटाना। (Delete a file)
- फाइल का नाम बदलना। (Rename a file)
- डायरेक्टरी की सूची प्रदर्शित करना। (List a directory)
- फाइल को ढूंढना। (Search for a file)
- फाइल पद्धति में घूमना। (Traverse the file system)
Possible approaches:
निम्न पांच प्रकार के Directory approaches होते हैं:
- Single level directory
- Double level directory
- Tree structure directory
- Acyclic graph directory
- General graph directory
(i) Single level directory:
इसमें सभी फाइल्स को एक single directory में संग्रहित करके रखा जाता हैं। इसलिए यहां आवश्यक है की प्रत्येक का नाम unique होना चाहिए। इस लेवल डायरेक्टरी की कुछ सीमाएं होती है। जैसे इसमें grouping संभव नहीं होता। और नाम देने में समस्या होती है। क्योंकि इसमें एक नाम को दो बार नहीं रखा जा सकता। यदि इसमें यूजर एक से अधिक होते हैं। तो उनका नाम directory के लिए unique निर्धारित करना और आवश्यक होता है। इसे निम्न चित्र से हम समझ सकते हैं:
इस प्रकार के single leve directory structure की सबसे बड़ी विशेषता इसकी क्षमता होती है।
(ii) Double level directory:
इसे two-level directory structure System भी कहा जाता है। इसमें प्रत्येक उपयोगकर्ता के लिए एक अलग directory space प्राप्त होती है। इसमें फाइल का नाम किसी एक उपयोगकर्ता के लिए unique होना चाहिए। इसमें एक master file directory होती है जो प्रत्येक उपयोगकर्ता के track को रखती है और उन्हें यहां अधिकार देती है कि वह उपयोगकर्ता को जोड़ने या मिटाने का कार्य कर सकें।
इस प्रकार के directory system का लाभ यह है कि इसमें ढूंढना आसान होता है और एक ही नाम के फाइल अलग-अलग यूजर के लिए हो सकते हैं। इसे निम्न चित्र की सहायता से समझ सकते हैं:
इस प्रकार के double level directory structure का नुकसान यह है कि इसमें grouping केवल उपयोगकर्ता के स्तर पर ही संभव होता है।
(iii) Tree structure directory:
इसमें directory के अंतर्गत sub-directory या file होते हैं। जिससे एक वृक्ष की तरह ढांचा तैयार होता है। इसमें कोई directory खाली हो सकता है या इसके अंतर्गत कोई sub-directory हो सकते हैं। इसमें किसी directory को तभी मिटाया जा सकता है। जब वह खाली नहीं होता है। यदि किसी directory के अंतर्गत अनेक फाइल हैं और उसका कोई sub-directory है तो वह दोनों एक ही level के होते हैं। इसे निम्न चित्र की सहायता से समझ सकते हैं।
इसमें किसी उपयोगकर्ता को एक ही जगह पर सभी content को ढूंढ सकता है। इसमें ढूंढने के लिए किसी एक root से ढूंढना आरंभ करते हुए उसके नीचे के उप शाखा में जाया जाता है क्योंकि प्रत्येक शाखा में उसी से संबंधित content को रखा जाता है इसलिए दूसरे शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं होती है।
इस प्रकार के tree structure directory के अनेक लाभ हैं। जैसे कि इसमें grouping करना आसान हो जाता है और एक ही नाम को अलग-अलग directory में हो सकता है। परंतु इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इसका ढांचा बहुत ही उलझन भरा होता है।
(iv) Acyclic graph directory:
इस tree structure directory का ही विस्तार रूप मान सकते हैं। इसमें जब directory और file सभी उपयोगकर्ताओं के लिए साझा होता है। अर्थात किसी एक फाइल को एक से अधिक ही स्थान पर उपयोग करना चाहते हैं तो इस कार्य को ऐसी acyclic graph directory में किया जा सकता है। इसमें एक ही fixed directory होता है। इसे निम्न चित्र से समझा जा सकता हैं:
इस acyclic graph directory के अनेक लाभ भी tree structure directory system की तरह ही है। जैसे इसमें grouping करना आसान होता है। और एक ही नाम को अलग-अलग डायरेक्टरी में हो सकता है। परंतु इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसका ढाचा बहुत ही उलझन भरा होता है।
(v) General graph directory:
Acyclic graph directory में searching में उलझन होती है इसे हल करने के लिए graph में सुधार किया जाता है। जिसे general graph directory कहते हैं। Acyclic graph में एक अनंत loop तैयार हो जाता है इसका एक उपाय यह है कि एक link के लिए एक सांकेतिक link का use किया जाए। जिससे एक ही प्रोसेस बार-बार ना हो। इसमें जब searching होती है तो प्रक्रिया लगातार चलता जाता है और जिस में searching हो चुका है उसमें अलग-अलग करते जाते हैं। ऐसे ऐसे acyclic graph के कमियों को दूर करने के लिए बनाया जाता है।
Directory Structure क्या हैं? [Directory Structure in hindi]
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