Key क्या होता हैं? [Concept of DBMS keys in Hindi]

DBMS Key क्या होता हैं? [Concept of keys in Hindi]

Key क्या होता हैं?

Key relational database का एक महत्वपूर्ण भाग हैं इसका उपयोग एक से अधिक टेबल के बीच संबंध स्थापित करने में किया जाता है अर्थात key का उपयोग करके table के column के attribute को परिभाषित कर सकते हैं। keys के table के जिस column के लिए किया जाता है वह table के प्रत्येक records को unique पहचान दिलाता है। किसी relational database के लिए निम्न keys परिभाषित किये गए हैं:

  • Primary key 
  • Foreign key 
  • Super key
  • Candidate key
  • Composite key
Key क्या होता हैं ?

Concept of keys in Hindi:

निम्न keys परिभाषित किये गए हैं:

(1) Primary Key:

Primary key के प्रयोग से table के प्रत्येक record को पहचाना जा सकता हैं। इसमें सामान्य attribute का ही प्रत्येक किया जाता है, पर उस attributes का elements निश्चित रूप से अद्वितीय (unique) होना चाहिये । इसमें निम्न दो गुणों का होना आवश्यक है:

  1. Unique 
  2. Not null

Example : 

Primary key Example

उक्त टेबल में Roll No को Primary key define किया जा सकता है क्योंकि प्रत्येक छात्र का RollNo अद्वितीय (unique) होता है।

इसमें निम्न दो गुणों का होना आवश्यक है:

1. Unique: 

यह एक constant है जिसका उपयोग database table के record को unique परिभाषित करने में करते हैं यदि हम table के किसी column के record की पुनरावृत्ति को रोकना चाहते हैं तो table create करते समय उस column के सामने UNIQUE लिखा देते हैं।

2. Not null :

Table के लिए Null परिभाषित करने की आवश्यकता नहीं होती इसका अर्थ यह नहीं कि Null default value होता है। यदि null को point करना होता हैं तो NOT NULL लिखते हैं NOT NULL लिखने से यह उस column के नाम को (खाली) Null नही कर सकते। इसी प्रकार Default constraint का उपयोग करके column के मान के लिए default मान पास कर सकते हैं। User constraint, table के मालिक द्वारा वर्तमान उपयोगकर्ता के लिए परिभाषित सभी constraint उपयोग होते हैं।

SQL table बनाने के लिए CREATE TABLE statement का उपयोग करते हैं और प्रत्येक column को परिभाषित करते हैं। यदि किसी column के लिए not null assign करना चाहते हैं तो उस column के नाम को परिभाषित करते समय अंत मे NOT NULL लिखा देते हैं। 

(2) Candidate Key:

Table के इस प्रकार के attributes (columns) जिनके प्रत्येक record के unique होने की संभावना है उन सभी columns को candidate key कहेंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो प्रत्येक attribute या attributes के समूह जिसके प्रत्येक records को अद्वितीय रूप से दर्शाया जा सके, उसे candidate key कहते हैं। इन्ही candidate key में से किसी एक को primary key के रूप में चुनते हैं।

Example :

Candidate key Example

(3) Foreign Key:

एक ही database के एक table का वह attribute जो उसी database के अन्य table के लिए primary key का कार्य करे,  उसी foreign key या reference key कहते हैं। जैसे हमारे पास दो table है एक ‘student’ एवं दूसरे ‘class’ student table में student के records को ‘RollNo’ (Primary key) के आधार पर रखा गया है एवं दूसरे table ‘class’ को student ID (Primary key) के आधार पर रखा गया है।

Foreign key Example

अब यदि ‘student’ table में ‘class’ table के बीच relation बनाना है तो ‘class’ table के attribute ‘ID’ को student में merge कराते है जिससे नया  table निम्न प्रकार प्रदर्शित होगा:

Foreign key Example
student table and class table दोनों में ही attribute roll no. है। student table में इसे primary key बनाया गया है, जबकि यही class table में foreign key है। यह एक common field है, जिसके द्वारा दोनों table के बीच relation बना सकते हैं।

(4) Composite Key: 

यह primary key की तरह ही होता है, जो दो या इससे अधिक attributes(column) को शामिल करती है। जैसे: नीचे दिए ‘Student’ और ‘SubName’ नामक दो attribute का combination है।

सामान्यतः जब दो table के बीच relationship को प्रदर्शित करते हैं, तो इसके लिए foreign key का उपयोग कर सकते हैं। Foreign key database के relation में एक attribute के रूप में होता है, जो उसी database में किसी अन्य relation की primary key के रूप में प्रस्तुत की जाती है। उदाहरण के लिए , हम इसे ‘Student’ और ‘Library’ के relation के रूप में इस प्रकार समझ सकते हैं:

composite key Example

उक्त ‘Student’ table में attribute ‘sub name’, foreign key है। यह उपयोगकर्ता को किसी भी student को प्रदान किये गए class के नाम के द्वारा उस student से जुड़ने की अनुमति प्रदान करती है। कुछ स्थिति में foreign key को dash वाली underline के द्वारा दर्शाया जाता है। जैसे :

composite key Example
यह पर ‘studID’ एवं ‘SubName’, ‘Student’ table के दो attribute होते हैं इसलिए इन्हें composite keys कहते हैं।

(5) Super key:

किसी database के records का अद्वितीय (unique) रूप में पहचान बनाने के लिए एक , से अधिक attributes (column) का combination बनाया जाता है तो उसे super key कहते हैं इसे दूसरे सब्दो में समझे तो primary key प्रयोग से आप किसी record को unique बना सकते हैं पर यदि उस table में ऐसा कोई column नही है जिससे उसके किसी attribute को ‘primary key’ बना सके, ऐसे परिस्थितियों में एक से अधिक ‘attributes’ को लेकर उस records को unique बनाया जाता है। जैसे: नीचे के table में Name, Fathers Name, City, state एवं Country, attributes है।  इसके record unique बनाने के लिए हमे एक से अधिक attributes का combination लेना पड़ेगा। जैसे:

Example :

Super key Example

उक्त में से हम किसी भी combination का प्रयोग कर सकते हैं।

[DBMS] Key क्या होता हैं ? [Concept of keys in Hindi]

Hello Friends आज अपने इस पोस्ट के माध्यम से पढ़ा keys क्या हैं ? तो friends उम्मीद है कि इस पोस्ट के माध्यम से और बहुत से जानकारी मिली होगी और आपके मन में जो सवाल थे उनका जवाब भी मिल गया होगा

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