IPv4 और IPv6 क्या है? और इन दोनों के मध्य अंतर [Difference] क्या है?

IPv4 और IPv6 क्या है? और इन दोनों के मध्य अंतर [Difference] क्या है? 

IPv4 और IPv6 क्या है? 

IP Address जिसका पूर्ण रूप इंटरनेट प्रोटोकॉल होता है। यह हमारे मोबाइल नंबर की
तरह होता है जैसे मोबाइल नंबर हमारे मोबाइल फोन को उपयोग करने के लिए एक numeric
unique I’d होता है, ठीक  उसी प्रकार IP Address हमारे डिवाइस का इंटरनेट
उपयोग करने के लिए एक अंकीय पहचान होता है।

IPv6 का architecture IPv4 की तरह ही
होता है। जिस प्रकार transport later protocol इस प्रकार IPv4 में कार्य
करता है ठीक उसी प्रकार IPv6 कार्य करता है। IPv6 तैयार करने का मुख्य उद्देश्य
यह है कि इसके द्वारा address space को बढ़ाया गया है। IPv4, 32 bit का
होता है जबकि IPv6, 128 bit का होता है। वर्तमान में IPv6 का
प्रयोग मोबाइल डिवाइस में किया जा रहा है।

IPv4 और IPv6 क्या है? [IPv4 और IPv6 मध्य अंतर]

IPv4  क्या है? 

IP Address जिसका पूर्ण रूप इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस होता है। यह हमारे मोबाइल
नंबर की तरह होता है जैसे मोबाइल नंबर हमारे मोबाइल फोन को उपयोग करने के लिए एक
numeric unique I’d होता है, ठीक  उसी प्रकार IP Address हमारे डिवाइस का
इंटरनेट उपयोग करने के लिए एक अंकीय पहचान होता है। यदि हम कंप्यूटर नेटवर्क से
जुड़ना चाहते हैं तो हमको इंटरनेट प्रोटोकॉल का उपयोग करना होगा। क्योंकि इस
प्रोटोकॉल का प्रयोग संचार से संबंधित कार्यों में किए जाते हैं।


IPv4
, यह IP Address का चौथा संस्करण है या 32 bit का होता है क्योंकि इसका
प्रत्येक octet 8 bit का होता है इस प्रकार 8*4 = 32 bit, इसलिए इसमें 32-bit
address scheme का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार इसके द्वारा 4 लाख पता हो सकता
है। इसे कुछ इस प्रकार लिखा जाता है।

IPv4 Address क्या है?

इसके प्रत्येक octet में 8 binary digit होता है। इसलिए उपरोक्त address को
computer binary format में  11000000.10101000.0000000.00000001 के रूप में
पड़ेगा।

IPv4 Addressing क्या है? 

किसी भी सिस्टम के लिए ip address को हम automatic या manualy दोनों प्रकार से
निर्धारित कर सकते हैं। Automatic address DHCP server के द्वारा दिया जाता है।
यदि हम manualy ip-address निर्धारित करना चाहते हैं तो इसके लिए windows
operating system में निम्न कार्य करेंगे:

  • Desktop पर प्रदर्शित हो रहे Icon (Network (Window7), My Network Places
    (Window XP), Network Neighborhood (Windows 98) पर right button click
    करेंगे।
  • Right button menu से ‘Properties’ option पर click करेंगे।
  • Open windows से जिस network के लिए IP address निर्धारित  करना है उस
    पर right click करके ‘Properties’ पर click करेंगे।
  • Open windows से Internet Protocol (TCP/IP) को चुनकर ‘Properties’ option पर
    क्लिक करते हैं।
  • इसके पश्चात एक अन्य डायलॉग बॉक्स ओपन हो जाता है जहां IP address को टाइप
    करते हैं।
  • इसके आगे के text बॉक्स में subnet mask आगे दिए नियम के अनुसार।
  • Default gateway का IP address और DNS का IP address type करके ‘OK’ button
    पर click करना होता है।

IP version 4 (IPv4) को निम्न पांच classes में बांटे गए हैं:

(i) Class A address:

इस class का first octet, network के लिए होता है और इसका पहला bit ‘0’ से
reserve होता है और आगे के मीट को नेटवर्क के अनुसार बदला जा सकता है
इसलिए इसका रेंज 1 से 127 के बीच होते हैं अतः इस क्लास में कुल 126 नेटवर्क हो
सकते हैं। आगे के 3 अपडेट होस्ट के लिए होते हैं जिसे जीरो से 255 के बीच दिया जा
सकते हैं इसलिए और एड्रेस की संख्या 1677 214 होगी दो server होता है।

(ii) Class B address:

इस class का first और second octet, नेटवर्क के बीच होता है और इसका पहले octet
के शुरू के दो bit ’10’ से reserve होता है और आगे के bits को नेटवर्क के अनुसार
बदला जा सकता है इसलिए इसका range 128.0.x.x से 191.255.x.x के बीच होता है अतः
इस class में कुल 16384 नेटवर्क हो सकते हैं। आगे के दो octet host के लिए होता
है, जिसे 2 reserve को छोड़कर 0 से 255 के बीच दिया जा सकता है इसलिए host
address की संख्या 65534 होगी।

(iii) Class C address:

इस class का उपयोग तब होता है जब नेटवर्क की संख्या बहुत अधिक होती है परंतु
host बहुत कम होते हैं। इसमें शुरू के तीन octet नेटवर्क के लिए होते हैं
और इन octet के शुरू के तीन bit ‘110’ से reserve होते हैं और आगे के bits को
नेटवर्क के अनुसार बदला जा सकता है इसलिए इसका range 192.0.0.x. से 223.255.255.x
के बीच होते हैं अतः इस class के कुल 2097152 नेटवर्क हो सकते हैं। अंतिम octet
host के लिए होता है, जिसे 1 reserve को छोड़कर 0 से 255 के बीच दिये जा सकते हैं
इसलिए host address की संख्या 254 होगी।

(iv) Class D address:

इस class के address multicasting के लिए reserve होते हैं। इसके पहले octet के
शुरु के चार bit ‘1110’ से reserve होते हैं और आगे के bit को नेटवर्क के अनुसार
बदला जा सकता है इसलिए इसका range 224.0.0.0 से 239.255.255.255 के बीच होता है।
इस class के  लिए कोई subnet mask नहीं होता। इसलिए इस rang का प्रयोग विशेष
कार्य के लिए किया जाता है।

(v) Class E address:

इस class के address experimental कार्य के लिए reserve होते हैं अर्थात इस class
के IP address का प्रयोग केवल Reserve and Development या अध्ययन के कार्य में ही
किया जाता है। इसके पहले octet के शुरू के 5 bit ‘111110’  से reserve होते
हैं। और आगे के bit को नेटवर्क के अनुसार बदला जा सकता है इसलिए इसका range तो
240.0.0.0 से 255.255.255.254 के बीच होता है। इस class के लिए कोई subnet mask
नहीं होता।

Subnet mask:

IPv4 में जब IP address दिया जाता है तो उसके 2 भाग होते हैं जिसमें एक भाग
नेटवर्क के लिए और एक भाग host के लिए होता है अर्थात यदि उसके पहले दो octet
network के लिए है तो उनके मान को बदल कर हम नेटवर्क को बदल सकते हैं और अन्य दो
को बदलकर host को बदल सकते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि किसी स्थान पर
अधिक नेटवर्क की आवश्यकता होती है तो कहीं अधिक host लगाने हैं। Submit mask इसी
स्थान पर बहुत उपयोगी होता है जैसे हमें बताना है कि पहला octet network के लिए
है तो submit mask को 255.0.0.0 लिखेंगे। (Class A के लिए होगा)। 

Class B के लिए subnet mask को 255.255.0.0 और Class C के लिए 255.255.250.0.0
देना होगा और उसी के आधार पर नेटवर्क और host की संख्या निर्धारित होगी। कम
शब्दों में submit mask को परिभाषित करें तो यह 32 bit के IP address में कितना
bit नेटवर्क के लिए और कितना bit को host के लिए उपयोग करना है इसे निर्धारित
करने के लिए होता है।

Address Mode:

IPv4 के द्वारा निर्णय तीन प्रकार के address mode को support किए जाते
हैं।

(i) Unicast addressing mode:

इसने server एवं client दोनों को पहले से एक दूसरे का IP address ज्ञात होता है
दोनों सीधे एक दूसरे के संपर्क में होते हैं इसलिए addressing mode में server के
द्वारा जानकारी को एक निर्धारित host को भी भेजा जाता है। इसके पश्चात उसे client
के द्वारा निर्धारित server को डाटा भेजा जाता है। इसे नीचे दिये चित्र से समझ
सकते हैं जिसने तीन server और तीन client हैं जिसमे server 1, client 2 के IP
address के द्वारा सीधे communication करता है।
Unicast addressing mode:
(ii) Brodcast addressing mode:

इसमें एक विशेष प्रकार के broadcast address को जो 255.255.255.255 होते हैं host
को भेजा जाता है अर्थात addressing के लिए packet को सभी host को broadcast किया
जाता है जिस host के द्वारा पहले server को reply भेजा जाता है उसके साथ भी
server स्थाई रूप से जुड़ जाता है और एक निश्चित अवधि तक दोनों के बीच
communication चलते रहते हैं।

Brodcast addressing mode:

(iii) Multicast addressing mode:

यह unicast, और brodcast दोनों प्रकार से कार्य करता है। इसमे destination के
address को तत्वों के रूप में एक विशेष प्रकार का address जो 224.x.x.x होता है
उसे पूरे server को brodcast करता है। इसमें server एक से अधिक server को नेटवर्क
में शामिल करने के लिए packet भेजता है। इसके बाद सभी server के द्वारा एक विशेष
ip-address का चयन किया जाता है जिसे network में brodcast के लिए उपयोग किया
जाता है और इसी IP address का प्रयोग करने नेटवर्क के सभी host से communication
किया जाता है।

Multicast addressing mode:

उपरोक्त चित्र में पहला server 224.x.x.x IP address को server को brodcast करने
का कार्य किया जाता है।

IPv6 क्या है?

वर्तमान समय में इंटरनेट पूरी दुनिया में फैल गया है और अब इसके उपयोग करने वालों
की संख्या खरबों में हो गई है इसकी सबसे बड़ी वजह छोटे एवं सस्ते electronic
device जैसे tablet, smart phone का बाजार में आ जाना है। इसलिए पूर्व में प्रयोग
होने वाले IPv4 से सभी devices को address का version 6 पाना संभव नहीं है। इसलिए
इसमें विस्तार करके IP address का version 6 तैयार किया गया। यह आने वाले कुछ ही
समय में IPv4 को पूरी तरह से replace कर देगा। इस IPv6 को Internet Engneering
Task Force (IETF) के द्वारा वर्ष 1998 में लाया गया।

IPv6 का architecture IPv4 की तरह ही होता है। जिस प्रकार
transport later protocol इस प्रकार IPv4 में कार्य करता है ठीक उसी प्रकार IPv6
कार्य करता है। IPv6 तैयार करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि इसके द्वारा address
space को बढ़ाया गया है। IPv4, 32 bit का होता है जबकि IPv6, 128 bit का होता है।
वर्तमान में IPv6 का प्रयोग मोबाइल डिवाइस में किया जा रहा है।

इस IPv6 को IPv4 की तुलना में privacy measure और authentication
में काफी सुधार कर दिया गया है। इसमें डाटा को host को भेजते समय
encrypt कर सकते हैं।

IPv6 addressing क्या है? 

इसमें addressing तकनीक को काफी आधुनिक कर दिया गया है ताकि कभी भी address की
कमी ना हो। इसलिए यहां 8 वर्गों में विभाजित होता है IPv4 में octet को अलग करने
के लिए dot ‘.’ operator का प्रयोग होता था परंतु इसमें group को अलग करने के लिए
colon ‘.’ operator प्रयोग किया जाता है। इसके प्रत्येक वर्ग में 4 hexadesimal
notation होते हैं इसे निम्न उदाहरण से समझते हैं:
2c14:0000:f3c5:dc23:89cd:0000:cf43

इस address को binary format में लिखने पर यह कुछ निम्न प्रकार प्रदर्शित होगा:

0010110000010100:0000000000000000:1111001111000101:0110110000100011:1000100111001101:0000000000000000:0000000000000000:1100111101000011

इस प्रकार प्रत्येक वर्ग 16 bit का होता है और इसके द्वारा हम 65535 address हो
सकते हैं। अतः पूरे IPv6 में 655358 का पॉवर 8 = 3.40241E+38 address हो सकते
हैं।

इस IPv6 को निम्न अलग-अलग प्रकार से लिखा जा सकता है।

  • ab2f:0000:0000:0000:2fc4:1298:321d
  • ab2f:0:0:0:2fc4:1298:321d
  • ab2f:2fc4:1298:321d

उपरोक्त में से हमनें जिस प्रकार address type करने में सुविधा होती हैं, type कर
सकते हैं सभी एक ही प्रकार से कार्य करेंगें।

Different between IPv4 and IPv6 [IPv4 और IPv6 मध्य अंतर]

इन दोनों IPv6, IPv4 का ही संशोधित रूप है इसलिए इसमें IPv4 की कमियों को
दूर तो किया गया है साथ ही नये feature भी जोड़े गए हैं। इन दोनों के बीच में मुख्य
रूप से निम्न अंतर होते हैं:

IPv4 IPv6
(1) IPv4 में कुल 4 header field होते हैं।

(1) IPv6 में कुल 8 header field होते हैं।
(2) IPv4 में प्रत्येक header का आकार 4 bytes का होता है। 

(2) IPv6 में header का आकार 16 bytes का होता है।

(3) IPv4 में Header की लंबाई 20 bytes होती है।

(3) IPv6 में Header की लंबाई 40 bytes होती है।

(4) इसका data स्थानांतरण की गति कम होती है।

(4) TCP की तुलना में इसका Data स्थानांतरण गति अधिक होती है।

(5) इसके address space का आकार 32 bits का होता है।

(5) इसमें address space का आकार 128 bits का होता है।

(6) Network की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए Internet Security Protocol
(ISPec) को apply किया जा सकता है।

(6) Network की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए Internet Security Protocol
(ISPec) को apply करना आवश्यक होता है।
(7) इसमें QoS को router के द्वारा नियंत्रित करने के लिए packet को बहाव
का पहचान नहीं किया जाता।

(7) QoS को router के द्वारा नियंत्रित करने के लिए और packet flow के
पहचान के लिए flow level field का प्रयोग किया जाता है।
(8) IPv4 में भी विखंडित packet भेजने का अधिकार दोनों अर्थात sending host
और router को होता है।

(8) IPv6 में भी विखंडित भेजने का अधिकार केवल host को होता है इसमें
router का कोई role नहीं होता।
(9) Client, DHAN server से अस्थाई IP address प्राप्त कर सकता है।

(9) इसे menual configuration और DHCP की आवश्यकता नहीं होती।
(9) इसके header में checksum शामिल होता है।

(9) इसके header में checksum शामिल नहीं होता।

Leave a Comment